
23 जुलाई 2025 को पेश और 13 अगस्त को राज्यसभा में पास, यह बिल 2011 की नेशनल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट कोड को बाय-बाय कहता है और लाता है एक लीगल, मॉडर्न और ट्रांसपेरेंट सिस्टम।
खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने इसे “खेलों में सबसे बड़ा सुधार” बताया।
BCCI बोले – “अब हम भी सरकारी बन गए!” BCCI अब RTI के अंदर, NSB की नजर में रहेगा
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BCCI अब सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के दायरे में।
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नेशनल स्पोर्ट्स बोर्ड (NSB) की निगरानी में BCCI को चलाना होगा।
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हां, कुछ मामलों में BCCI को स्वतंत्रता रहेगी, मगर सरकार की बात टालनी अब मुश्किल।
BCCI की ‘स्वतंत्रता’ को थोड़ा विराम, खिलाड़ियों को मिलेगा असली काम!
70 नहीं, अब 75 की उम्र तक कुर्सी से प्यार! महासंघ प्रमुखों की उम्र और कार्यकाल पर नई लकीरें
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अब अधिकतम 12 साल तक ही कोई अधिकारी बने रह सकता है।
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ब्रेक के बाद ही रिइन्ट्री मिलेगी।
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आयुसीमा 70 से बढ़ाकर 75 साल, यानी बिन्नी जी का बल्ला अभी चलेगा!
और हां! महिलाओं को भी मिलेगा बराबरी का हक – कम से कम 4 महिला सदस्य हर कार्यकारी समिति में अनिवार्य होंगे!
खेलों के लिए कोर्ट नहीं, अब ट्रिब्यूनल की होगी चोट! नया ट्रिब्यूनल बनेगा खिलाड़ी-महासंघ विवाद निपटाने को
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स्पोर्ट्स ट्रिब्यूनल को मिलेगा सिविल कोर्ट जैसा पावर।
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केवल सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी।
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मॉडल लिया गया है FIFA और CAS (Court of Arbitration for Sport) से।
अब सिलेक्शन या मनमानी पर खिलाड़ी कोर्ट-कचहरी नहीं भागेंगे, सीधे ट्रिब्यूनल में देंगे छक्का!
अब POSH से होगी पावर ऑफ सेफ्टी! महिला और नाबालिग खिलाड़ियों की सुरक्षा को प्राथमिकता
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POSH Act 2013 के तहत हेरासमेंट के खिलाफ सख्त नीतियां होंगी लागू।
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हर खेल निकाय को RTI और महिला सुरक्षा प्रावधान अनिवार्य रूप से लागू करने होंगे।
खेलों में अब कोई नहीं करेगा ‘खेल’, खिलाड़ियों को मिलेगी पूरी शील्ड!
“खेल महासंघ नहीं कोई खानदानी विरासत नहीं!” निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव होंगे ज़रूरी
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नेशनल स्पोर्ट्स इलेक्शन पैनल बनाएगा चुनाव पारदर्शी।
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राजनीति की घुसपैठ पर लगेगा ब्रेक, खिलाड़ियों की आवाज को मिलेगा माइक!
अब ‘सेलेक्शन में सेटिंग’ और ‘नेतागिरी’ की खटिया खड़ी!
2036 ओलंपिक की तैयारी, बिल बना रहा मजबूत बुनियाद! भारत की इंटरनेशनल इमेज को मिलेगा बूस्ट
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इस बिल का एक अहम मकसद है – 2036 ओलंपिक होस्टिंग के लिए इंडिया की दावेदारी को मजबूत करना।
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IOC और ग्लोबल स्टैंडर्ड्स के अनुसार नियम-कानूनों को सख्त और साफ किया गया है।
भारत बोलेगा – “अब हम भी ओलंपिक तैयार हैं, सिर्फ खिलाड़ी नहीं, पूरा सिस्टम है टाइटनियम!”
खिलाड़ी फर्स्ट, राजनीति लास्ट!
नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल 2025 सिर्फ एक कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि भारतीय खेलों के लिए नई रोशनी का रास्ता है।
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खिलाड़ियों को अधिकार
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महासंघों को जवाबदेही
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और खेल को मिलेगा असली सम्मान
अब देखना है कि इस नए सिस्टम में कौन ‘प्लेयर’ रहेगा और कौन सिर्फ ‘स्पेक्ट्रेटर’ बन जाएगा।
‘सुपर सेवादार’, अब दर्शन से लेकर दान तक सबकुछ सिस्टम के हवाले